latest Shayari 2021 (papa ,daughter, son ,mother ,love & more )
छोड़ कर तेरा आंगन , मैं किसी और आंगन में कैसे रह पाऊंगी ।
तेरे आंगन की तुलसी मैं , किसी और आंगन में कैसे खिल पाऊंगी।।
बन तेरे आंगन की चिड़िया मैं, चहका करती हूं पूरे आंगन में ।
छोड़ तेरे आंगन को , बताओ क्या मैं वहां चहक पाऊंगी ।।
जिस आंगन में मां ने दूर रखा सारी जिम्मेदारियों से।
छोड़ कर इस आंगन को , मैं वहां वो जिम्मेदारियां कैसे ले पाऊंगी ।
आपकी उंगली पकड़कर चलने से जो विश्वास मुझे मिलता था ,
क्या किसी अनजान का हाथ पकड़ कर वो विश्वास फिर से पाऊंगी ।
छोड़ कर तेरा आंगन , मैं किसी और आंगन में कैसे रह पाऊंगी ।
तेरे आंगन की तुलसी मैं , किसी और आंगन में कैसे खिल पाऊंगी।।
By-sajjan(badboy)
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